Monday, January 4, 2010

जीने के चार पल

दिल्ली से लौटने के बाद लगता है कि जयपुर आकर ही गलत किया। आफिस में कदम रखते ही निराशा ने घेर लिया। मेरे बॉस हरिश्चंद्र जी ने कहा कि जिस शहर में जाओं, जब उसे छोड़ों तो लोग बोले कि कोई आया था। बड़ा दम था लड़के में। अपनी एक पहचान हो। ऐसा न हो कि कुछ समय बाद यह सोचों कि आखिर जयपुर आया ही क्यों था और तुम्हारे पास कोई जवाब न हो। इससे निकलने से पहले ही कुछ ऐसा मिल गया, जिसे बताए बिना रहा नहीं जा रहा है।
मृगेंद्र पांडेय

जीन में चार चीजें ठीक वैसे ही आती है जैसे हर साल बिना रुके, बिना भूले बरसात। जैसे हम बरसात को नहीं रोक सकते वैसे ही अपने इन चार जीवन साथी को भी नहीं रोक सकते। आप सोच रहे होंगे कि ये जीवन साथी कैसे हो गए। दरअसल ये चारों चीजें जीवन साथी से भी ज्यादा समय तब आपके साथ रहते हैं। या ये कहा जा सकता है कि आपको इनके साथ रहना ही पड़ता है।

जीवन जीने के अपने तरीके होते हैं। कोई किसी पर यह नहीं थोप सकता कि वह फलां तरीके से जीवन जीए या फिर फलां तरीके से। लेकिन ये चार चीजें आपके जीवन को अपने तरीके से जीने पर मजबूर करती हैं। आखिर अब तक आप यह सोच रहे होंगे कि चार चीजों की बातें तो यह लगातार कर रहा है लेकिन उनके बारे में बता नहीं रहा है। तो फिर मेरा फर्ज बनता है कि मैं उन चार चीजों के बारे में आपको बता दूं, फिर आगे बढूं।

जितना आप काम करते हैं अगर उसके बराबर आपको रिटर्न नहीं मिलता है तो फिर आप निराश होते हैं। अगर चीजें आपके प्लान के अनुसार नहीं होती है तब आपको निराशा मिलती है। असफलता से निपटना सच में कठिन है, लेकिन इससे निपटने के बाद आदमी पहले से ज्यादा ताकतर हो जाता है। क्योंकि असफलता हमको यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हम असफल क्यों हुए। अगर इसका जवाब हमें मिल जाता है तो मानों आप सफल हो गए। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो निराशा की बहन फ्रस्टेशन के साथ मुकाबला हॊता है।

फ्रस्टेशन को हिंदी में हम कुंठा, नैराश्य कह सकते हैं। यह तब होता है कि चीजें फंसने लगती है। आपको आगे बढ़ने से हर कदम पर रोकती हैं। यही कारण है कि आपमें एक नकारात्मक ऊर्जा आती जाती है, जो खतरनाक होती है। इसके अलावा अन्याय, कपट और अकेलापन भी आपको लगातार अपनी जद में लेने की फिराक में होता है। ऐसा नहीं है कि इनसे निपटा नहीं जा सकता। इन चार चीजों से निपटने के लिए जीन में चार चीजें ही जरूरी है। अगर इसे एक शब्द में कहें तो उसे बैलेंस कहा जा सकता है। यह बैलेंस आपके रिलेशनशीप, आपके स्वास्थ्य, आपकी मानसिक शांति और सब कुछ ठीकठाक क्रम में होने से मिल सकता है।

(चेतन भगत को आप सभी जानते होंगे। कुछ दिनों पहले ही मैं उनके ब्लाग पर कुछ पढ़ रहा था उस दौरान उनकी एक स्पीच पढ़ा। उस स्पीच को जितना मैं समझ पाया इस लेख में उड़ेल दिया हूं। यह बातें मैं अपने भाई विमल को बताया तो उसने कहा कि मेल करना, तो मुझे लगा कि इसे ब्लाग पर भी लिखा जा सकता है। विमल इन दिनों आस्ट्रेलिया में है।)

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